आप सभी साहित्य प्रेमी बंधुओं का मेरे ब्लॉग Geet ghazals poems with sawan chauhan karoli "writersindia.in" पर हृदय तल से स्वागत अभिनंदन है जैसा कि मेरा मानना है लेखन एक गहन साधना है आओ आप सभी को मेरी लिखी Poems,Ghazhals and Songs से रूबरू कराता हूँ।
Sunday, June 30, 2019
Saturday, June 29, 2019
तो कैसा होता
गाँव- शहर
तो कितना अच्छा होता ।
आपस में वो लगाव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
चौपाडों पे सब मिल बैठते,
सुनते बात तजुर्बों की ।
सिर्फ किताबी ज्ञान ना होता,
लेते सीख बुजुर्गों की ।
रिश्तों में ठहराव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
शहर के दिल में गाँव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
आपस में वो लगाव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
पैसे का अभिमान ना होता,
होती कद्र आदमी की ।
चाहें गरीबी वो ही होती,
मिलती झलक सादगी की ।
आधुनिक बरताव ना होता,
तो कितना अच्छा होता ।
शहर के दिल में गाँव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
आपस में वो लगाव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
अपनापन वो गाँव सा होता,
स्वार्थ ना होता नातों में
चेहरे पे चेहरा ना होता,
सत्यता होती बातों में ।
सूरत सा स्वभाव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
शहर के दिल में गाँव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
आपस में वो लगाव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
दया,धर्म और प्रेम भी होता,
Sh भी होती आँखों में ।
ईमान पुराने दौर सा ही,
मिल जाता शख्त हालातों में ।
वो आदर वो चाव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
शहर के दिल में गाँव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
आपस में वो लगाव भी होता,
तो कितना अच्छा होता ।
सावन चौहान करौली - रचनाकार
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
Friday, June 28, 2019
भूरा बैल
भूरा बैल
एक बैल की जोड़ी जिसमें, भूरा बैल हमारा था ।
छोटा सा धरती का टुकड़ा, जो बस मात्र सहारा था ।।
एक छप्पर मिटटी का बना थ, जिसकी छान पुरानी थी ।
बारिस में बुँदे गिरती थी, आसमान से पानी की ।
याद मुझे वो दौर ना भूला, कैसे वक़्त गुजारा था ।।
एक बैल…
रात दिना मेहनत कर के, माँ पापा फसल उगाते थे ।
काट पिट कर खेत के पैर में, बैलों से उसे गहाते थे ,
ज्यादा तो बनिया ले जाता, जो बच जाता हमारा था ।।
एक बैल… ,
छ: महीने मुश्किल था निकलना, काम नहीं चल पाता था ।
लेते ओर किसी से उधार, वो कोई शर्त बताता था ।
क्या करते पापा बेचारे, और ना कोई चारा था ।।
एक बैल…
उपर के खर्चे थे और भी, मात पिता ने था पाला ।
बीमारी और शादी ब्याह में, सिर्फ सहारा था लाला ।
सावन वो दिन भी देखा जब, बैल हमारा हारा था ।।
एक बैल की जोड़ी …
छोटा सा धरती का टुकड़ा,
जो बस मात्र सहारा था ।।
“सावन चौहान कारोली“ एक कलमकार
अ0 भा0 सा0परिषद
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
मो.9636931534
https://www.writersindia.in/2019/07/chashka-bura-sharab-ka.html
Wednesday, June 26, 2019
कविता - किसका गुमान करे
कविता- किसका गुमान करे
किसका ‘गुमान’ करे ,
काहे ‘अभिमान’ करे ।
‘पैसा और सत्ता’ बंधू ,
आनी जानी चीज है ।
पैसा ना जो कर पाये ,
काम वो ये कर लाए ।
‘मुश्कान छोटी’ बड़े ,
काम की चीज़ है ।
‘सत्य’ का ‘व्यवहार’ कर,
बातें तु विचार कर ।
‘अच्छाई बुराई’ साथ ,
जाने वाली चीज है ।
‘आचरण’ को साफ रख,
मन में ना ‘पाप’ रख ।
‘माफ करना’ बड़ा ,
बनाने वाली चीज़ है ।
‘संस्कार’ छोड़ मत,
रस्मों को तोड़ मत ।
‘रीति और रिवाज’ भी,
‘निभाने’ वाली चीज हैं ।
‘गाँठ’ मन की खोल ले,
बोल ‘मीठे’ बोल ले ।
‘झगड़ा लड़ाई’ तो,
‘मिटाने’ वाली चीज़ हैं ।
‘नेक काम’ कर ले ,
उसको सुमरले ।
‘वक़्त’ लोट कर नहीं ,
आने वाली चीज़ है ।
थोडा सा ‘नरम’ बन,
छोड़ दे ‘क्रोध अगन’ ।
‘सब्र’ भी तो सावन,
‘आजमाने’ वाली चीज़ है ।
कवि- “सावन चौहान कारौली”
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
मो.9636931534
Tuesday, June 25, 2019
तेरी मेरी जो ये कहानी है
गजल- तेरी मेरी जो ये कहानी है
तेरी मेरी जो ये~कहानी है
चाँद तारों से भी ~ पुरानी है
हमने मांगा तुझे दुवाऒं में
दो जहां भर की गर्द छानी है
हाल नाजुक हुआ बहुत दिल का
रोग शायद हुआ रुहानी है
बेद हैरान देख कर जिंदा
नब्ज गुम है न ही निशानी है
चाँद तारे तुझी से रोशन है
तुझसे ही मोजों पे रवानी है
भूल जाऊं तुझे भला कैसे
बिन तेरे खाक जिंदगानी है
तू कभी सुन सदाए ए दिल की
धड़कने किस कदर दिवानी है
सावन चौहान कारोली - गजल कार
तेरी मेरी जो ये~कहानी है
चाँद तारों से भी ~ पुरानी है
हमने मांगा तुझे दुवाऒं में
दो जहां भर की गर्द छानी है
हाल नाजुक हुआ बहुत दिल का
रोग शायद हुआ रुहानी है
बेद हैरान देख कर जिंदा
नब्ज गुम है न ही निशानी है
चाँद तारे तुझी से रोशन है
तुझसे ही मोजों पे रवानी है
भूल जाऊं तुझे भला कैसे
बिन तेरे खाक जिंदगानी है
तू कभी सुन सदाए ए दिल की
धड़कने किस कदर दिवानी है
सावन चौहान कारोली - गजल कार
Monday, June 24, 2019
गुब्बारा
"गुब्बारा"
'गुब्बारा' बच्चों को बहुत """प्रिय"'"'होता है । रंग बिरंगे लाल हरे काले,पीले,नारंगी बैंगनी,फिरोजी~~ जाने कैसे कैसे रंग के, जैसे किसी उपवन में मनभावन पुष्प सहसा ही सब का ध्यान आकृषित कर लेते है । वैसे ही गुब्बारे
भी सब का ध्यान आकृषित करने में
सक्षम होते है । किसी भी शुभ
अवसर पर फूलों की भाँति
इन्हें भी सजाया
जाता## है
और ये उस
महफ़िल की भव्यता
को और बढ़ा चढ़ा देते है
सकारात्मकता के प्रतीक और
@@खुशहाली और शुभ अवसर
को दर्शाते रोमांचित कर देने वाले
ये गुब्बारें । कक्ष को वटिका की तरह
सुशोभित कर देते है । हर मन को भाने
वाले बच्चों को लुभाने वाले प्यारे प्यारे गुब्बारे
कोई छोटा गुब्बारा कोई बड़ा गुब्बारा कोई ककड़ी का आकार लिए कोई दिल का
महफ़िल की भव्यता
को और बढ़ा चढ़ा देते है
सकारात्मकता के प्रतीक और
@@खुशहाली और शुभ अवसर
को दर्शाते रोमांचित कर देने वाले
ये गुब्बारें । कक्ष को वटिका की तरह
सुशोभित कर देते है । हर मन को भाने
वाले बच्चों को लुभाने वाले प्यारे प्यारे गुब्बारे
कोई छोटा गुब्बारा कोई बड़ा गुब्बारा कोई ककड़ी का आकार लिए कोई दिल का
आकार लिए, कोई 'फूल' तो कोई
सितारा कोई मछली की आकृति का
कोई गुड्डे जैसा कोई गुड़िया जैसा रोते हुए
बच्चों की मुष्कान लौटा देने वाले ये गुब्बारे लेकिन ये जब तक इनमे "हवा" न भर दी
जाए ये “फूलते” नहीं है या ये कहे
गुब्बा नहीं होते, जैसे ही इनमे
'हवा' भर दी जाती है फिर ये जमीन
पर कम और “ऊपर” ही ऊपर ज्यादा उड़ते है
और जमीन पर अगर रह भी जाए तो इनके
पैर नहीं होते तो ये इधर उधर लुढ़कते
डोलते है और जैसे ही सच्चाई की कठोर
घास के तुनके से स्पर्श होते ही
इनकी हवा निकल जाती है
यूहीं गुब्बारे की तरह
ही कुछ व्यक्ति होते
है अगर उनमे
कोई थोड़ी
'हवा'
भर दे
तो 'वो' वो
भी इन गुब्बारों
की भाँति ही फूल
कर गुब्बा’रा’ कुप्पा हो
जाते है लेकिन ऐसे
लोगों का भी कोई स्टैंड
या यूँ कहे पैर नहीं ~होते
और लगभग इनका भी वैसा
ही ~“अंजाम”~ होता है
इस लिए गुब्बारे देखने
भर तक तो ठीक है
लेकिन #गुब्बारा
हो जाना
ठीक
नहीं
“”””’’’’’’’’’”’’’’’“सावन चौहान कारोली””””’’’’’’’’’’’””’’
“”””’’’’’’’’’”’’’’’“सावन चौहान कारोली””””’’’’’’’’’’’””’’
फिर से आजा कृष्ण मुरारी
फिर से आजा कृष्ण मुरारी
फिर से आजा कृष्ण मुरारी ।
प्रबल हुए फिर अत्याचारी ।
धर्म आज लाचार खड़ा है,
मौन है भीष्म द्रोणाचारी ।
द्रोपत लाज बचाने आजा ,
अपना फर्ज निभाने आजा ।
चीरहरण को खड़े दुशासन,
फिर तू चीर बढाने आजा ।
देख दुर्गति गोमाता की,
गोधन के रखवाले आजा ।
सावन चौहान कारौली
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
मो.9636931534
अगर जिंदगी हो तेरे संग
अगर श्याम चाहो जपो राधे-राधे-2
बिना राधिका के कन्हैया है आधे-2
अगर श्याम चाहो जपो राधे-राधे-2
है बस राधिका ही जो चाहे मिलादे-2
कृष्णाssssssss कृष्णाssss
कृषणाssssssss कृष्णाssss
अगर श्याम चाहो…
अगर श्याम चाहो...
मोहन की मुरलीया राधे-राधे गाये-2 ।
दौड़ा-दौड़ा आये जो राधा जी बुलायें ।।
मधुबन रास रचाऐ कान्हा राधा जी के संग ।
जन्म-जन्म के रंगे कन्हैया राधा जी के रंग ।।
कृष्णाssssss कृष्णाssss
कृष्णाssssss कृष्णाssss
अगर श्याम चाहो …
बन्धी है राधा रानी से उस छलिया की डोरी-2
बरसाने की गलियों में खेले राधा संग होरी
कान्हा से जो मिलनों चाहो लो राधा को नाम
मुरलीधर को एक ठिकानों राधा जी को धाम
कृष्णाssssssss कृष्णाssss
कृष्णाssssssss कृष्णाssss
अगर श्याम चाहो…
भव से पार उतारे राधा जी को नाम-2
जहाँ है राधा रानी वहीँ पे है घनश्याम
राधे-राधे रटते सावन मिल जायें मोहन
एक दिन राधा नाम ही उनके करवादे दर्शन
कृष्णाssssssss कृष्णाssss
कृष्णाsssssss. कृष्णाssss
अगर श्याम चाहो ...
....
सावन चौहान कारौली -एक कलमकार
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
मो.9636931534
Sunday, June 23, 2019
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम,
मगर इन्सां नदारद है ।
मजहब की आड में सावन,
फक्त होती सियासत है ।।
मेरे शरबत में विष दिखता है,
है अमृत जहर भी उनका ।
तरफदारी रकीबों की,
मेरे अपनों की फितरत है ।।
हम ने सीने से लगाया,
उसने खंज़र था छुपाया ।
वो कायरता समझता है,
हमारी जो शराफत है ।।
गुनहा से प्यार करते हैं,
वो छुपके वार करते हैं ।
तरक्की देख जलते हैं,
उनके बसकी ना मेहनत है ।।
Sawan chauhan karoli
Saturday, June 22, 2019
यादों के काफिले
यादों के काफिले
2122 2122 2122
जिसको चाहा है, गए उनसे छले हैंं
गर्दिशों की गौद में, हम तो पले हैं
रात भर जलता रहा बनके चरागा
जुगनुओं को नाज है की,हम जले हैं
सो गई दुनियाँ न नींदाई हमे ही
हम कमर के साथ सारी शब, ढले हैं
आग का दिल मोम जैसा है नरम सा
शबनमों के दिल् में भी, कुछ जलजले हैं
यूँ तो मेरे रूबरू रहता है जालिम
दरमियाँ लेकिन दिलों के, फासलें हैं
आरजू है आज भी सूरज को चूमूं
क्या हुआ जो इश्क में ये, पर जले हैं
तू गया जब से मैं तन्हा हूँ बहुत ही
साथ तेरी यादों के बस, काफ़िले हैं
बरसा होगा टूट के शब भर वो सावन
इस लिए रुख़्सार ये लगते धुले हैं
सावन चौहान कारोली
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
23-04-2019
परदेसी
परदेसी साजन

कई बार मेरे दिल ने दी हैं तुम्हें सदाएं
हमको भुलाने वाले तुम्हे हम भुला न पाएं
हमको भुलाने वाले तुम्हे हम भुला न पाएं
गैरों की बात सुनके फेरी हैं तूने नजरें
हमने तो सारे वादे, शिददत से हैं निभाएं
हमने तो सारे वादे, शिददत से हैं निभाएं
किस देश तू गया है परदेस जाने वाले
तेरा दूर हैं बसेरा, आहें भी जा न पाएं
तेरा दूर हैं बसेरा, आहें भी जा न पाएं
पूछे हैं किताबों में सुखी हुई वो कलियां
उस बिन क्यों जी रहा है ? तुझे लाज भी न आये
उस बिन क्यों जी रहा है ? तुझे लाज भी न आये
तुमने मिटा दिया है यादों से अपनी हमको
तश्वीर तेरी दिल से हमतो मिटा न पाए
तश्वीर तेरी दिल से हमतो मिटा न पाए
मुझे छोड़ जाने वाले कभी खाब में ही आजा
निकले ये दम हमारा और चैन दिल को आए
निकले ये दम हमारा और चैन दिल को आए
बस खेल समझते है दिल का लगाना संगदिल
परदेसियों से "सावन" कोई प्रीत न लगाए
परदेसियों से "सावन" कोई प्रीत न लगाए
“सावन चौहान कारोली”-एक कलमकार
Ak yug ka ant ho gaya
भारत के भूतपूर्व प्रधानमन्त्री और अभूतपूर्व साहित्यिक मनीषी स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेईजी को सावन चौहान कारोली की ओर से अश्रुपूर्ण श्रधांजलि...
लो वो अनन्त हो गया ।
वो आफताब हिन्द का
खुद रोशनी इक हो गया ।
अटल था वो ।
अखिल था वो ।
अमिट था मिट नहीं सकता
जलती हुई मशाल था
तम कहीं भी टिक नहीं सकता
चुनोतियों को जीत कर
सुकूँ की नींद सो गया
एक युग का अंत…
जन गण की वो जो आश था
हर दिल के आस-पास था
वो भूख था गरीब की
प्यासे दिलों की प्यास था
चला गया ऐसी डगर
चला गया ऐसी डगर
वो आशुवों में डुबो गया
एक युग का अंत…
आवाज अलग ।
अंदाज अलग ।
था राज अलग इतिहास बना
ले नेक इरादे और वादे
जनमानस का विश्वास बना
वो राजनीत की भूमि में,
कमल के बीज बोगया
एक युग का अंत…
समदर्शी था ।
संघर्षी था ।
था अजातशत्रु सरल सहज
थी सच्चाई की जुबां पे लहज
कलम का एक सिपाही देखो
खुद एक काव्य हो गया
एक युग का अंत…
एक भावना ज्वलन्त था
विचारों की भिड़ंत था
सचमुच में एक सन्त था
वो सन्त कहीं खो गया ।
एक युग का अंत हो गया
लो वो अनन्त हो गया
सावन चौहान कारोली -एक कलमकार
18 अगस्त 2018
Friday, June 21, 2019
गुरु महिमा
शिक्षक दिवस के पावन पर्व पर मेरी लेखनी गुरू चरण में...
गुरु वंदना
गुरू ब्रह्मा गुरू श्री हरी,
गुरू है भोले नाथ ।
शीश सदा गुरू चरण नवे,
छ रुत बारह मास ।।
गुरू की जो सेवा करे,
वो नर है बड़भागी ।
जो आदेश पालन करे,
उसकी किस्मत जागी ।।
गुरू बिना संसार ये,
होता नरक सामान ।
गुरू नाम के पुष्प से,
है गुलशन में जान ।।
सारी विपदा शिष्य की,
अपने सर गुरू लेय ।
जीवन के हर कॉलम में,
ज्ञान सुधा भर देय ।।
गुरू चांदनी रात है,
गुरू सुहानी भोर ।
जीवन एक पतंग है,
गुरू है उसकी डोर ।।
गुरू चरण जिसको मिले,
हो जाए भव से पार ।
गुरू चरणों की रज पाके,
हो जाए उद्धार ।।
गुरू जगाता चेतना,
गुरू दिखता राह ।
उसका जीवन सफल है,
गुरू की जिसपे निगाह ।।
गुरू ज्ञान की नाव में,
मिले जिसे स्थान ।
उसको तीनों लोकों में,
मिलता है सम्मान ।।
गुरू दिशा गुरू रोशनी,
गुरू गुणों की खान ।
सावन सतगुरू मिल जावें,
मिल जावें भगवान् ।।
"सावन चौहान कारौली"
गुरू चरणन की धूल...
भिवाड़ी अलवर (राजस्थान)
9636931534
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मेरे हुजरे में कभी आओ अदब का चाँद रखता हूँ होशलों की दीवारें और छान रखता हूँ सेज मखमल की मुनासिब न हो शायद टूटी खटिया है मगर सम्मान ...

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इच्छा शक्ति सेना में दम था पहले भी मगर कहाँ पर कमी रही इच्छा शक्ति कुछ लोगों की जाने कहाँ पर जमी रही सत्ता के लोभी ...
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